पंचतंत्र की कहानी: बंदर और लकड़ी का खूंटा – bandar aur lakdi ka khunta
उनके पीए कैलाश बाबू ने कहा, "जी,इसमें कूलर लगा दिया गया है।" शास्त्री जी ने एक नजर उन्हें देखा और आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा," कूलर लग गया है? बिना मुझे बताए?..आप लोग कोई काम करने से पहले मुझसे पूछते क्यों नहीं? क्या और सारे लोग जो गाड़ी में चल रहे हैं, उन्हें गर्मी नहीं लगती होगी?" शास्त्री जी ने कहा," कायदा तो यह है कि मुझे भी थर्ड क्लास में चलना चाहिए, लेकिन उतना तो नहीं हो सकता पर जितना हो सकता है, उतना तो करना चाहिए ।"उन्होंने आगे कहा,"बड़ा गलत काम हुआ है, गाड़ी आगे जहाँ भी रुके, पहले कूलर निकलवाइए.
अकबर बीरबल की कहानियाँ
फिर वे डीन के पास गए और कहा कि वे कल रात एक शादी में गए थे और रास्ते में उनकी कार का टायर फट गया और उन्हें कार को पीछे की तरफ धकेलना पड़ा। इसलिए वे परीक्षण लेने के लिए किसी भी हालत में नहीं थे।
एक समय कि बात है एक हंस और हंसिनी वातावरण प्रकृति का मजा लेते हुए घूमते-घूमते एक वीरान रेगिस्तान जैसे जगह पर पहुंच जाते हैं।
महर्षि के चेहरे पर प्रतीक्षा का भाव था
चिंता करने से आपकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, यह सिर्फ आपका समय और ऊर्जा बर्बाद करेगा।
.।" मथुरा स्टेशन पर गाड़ी रुकी और कूलर निकलवाने के बाद ही गाड़ी आगे बढ़ी। आज भी फर्स्ट क्लास के उस डिब्बे में जहाँ कूलर लगा था, वहाँ पर लकड़ी जड़ी है, जो शास्त्री जी के इस प्रेरक प्रसंग की याद दिलाती है।
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इस प्रसंग get more info से सीख – हमें कभी भी अपने ऊपर घमंड नहीं करना चाहिए. आनंद जी को गाँधी जी का अनुयायी होने का घमंड था.
Just after a number of a long time baking in the evening although Doing work in my Business office throughout the day, I made a decision to go ahead and take leap and go full-time with it. Which was five years ago and I never ever appeared back! Considering the fact that then, the business has developed dramatically! It was Plainly the most effective conclusion for me as it faucets into a Imaginative and entrepreneurial aspect of me that had previously been unfulfilled. The included bonus is I’m capable of be property for my kids every single day once they appear property from college!”
पंचतंत्र की कहानी: मित्र की सलाह – mitra ki salah
प्रोफ़ेसर ने पहले ही दिन उस छात्र को नोटिस कर लिया, लेकिन कुछ नहीं बोले. लेकिन जब ४-५ दिन तक ऐसा ही चला, तो उन्होंने उस छात्र को क्लास के बाद अपने केबिन में बुलवाया और पूछा, “तुम हर समय उदास रहते हो.
उसने गुरूजी से कहा – गुरूजी, मै इतने समय से आपसे ज्ञान अर्जित कर रहा हूँ आपके साथ रहकर कितना कुछ ज्ञान की बातें सीखा है मैने फिर भी आप मेरे सवालों का ऐसा उत्तर दे रहे हैं, आपके इस उत्तर ने मुझे अत्यंत दुःख पहुंचाया है।